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--------------------- "आशीष नैथानी/ हैदराबाद" ----------------------
छंट गया रात का कालापन और गले मिली परछाई,
दूर किसी झुरमुट से रोशन बाला दिल में आई |
कुछ अधरों पर हँसी लिए और कुछ रख तोहफे में,
वो नादाँ तपस्वी के घर पैदल मिलने आयी ||
--------------------- "आशीष नैथानी/ हैदराबाद" ----------------------
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