तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Thursday 25 April 2013

नववर्ष !!!

तिथि खोई, पंचांग खो गये
'कैलैंडर' गृहवासी हो गये ।
गणना शुरू  'कैलकुलेटर' पर 
चन्दा, सूरज गैर हो गये ॥

ग्रहों की बदली सी चाल है
सच में ये ही नया साल है ॥१॥ 
लोकगीत और नृत्य पुराने
बोली-भाषा-गाँव बेगाने ।
मिट्टी की खुशबू भी रूठी
रूठे घर-संसार-ज़माने ॥

अश्कों से भीगा रुमाल है
सच में ये ही नया साल है ॥२॥

पिछले बरस दामिनी खोई
अबके बरस भी गुडिया रोई ।
इधर-उधर सब काँटे बिखरे
जाने किसने फसल ये बोई ॥

गली-सड़क पर बुरा हाल है
सच में ये ही नया साल है ॥३॥

आशीष नैथानी 'सलिल'
25/4/2013..[हैदराबाद]
 

तुम लौट आओगे !

तुम लौट आओगे !
नहीं ! तुम नहीं लौटोगे
तुम लौट आओगे !
नहीं ! तुम नहीं लौटोगे
तुम लौट आओगे…..

गुलाब की एक-एक पंखुड़ी
तोड़कर पूछा मैंने ।

और फिर फ़ेंक दिया गुल
'सब बकवास है' कहकर,
जब बच गई थी
आख़िरी तीन पंखुड़ियाँ,
और मेरे लबों पर शब्द थे -
तुम लौट आओगे ।

-आशीष नैथानी 'सलिल'
हैदराबाद (अप्रैल,7/2013)