तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Tuesday 14 June 2016

कैप्टेन राम सिंह ठाकुर

जिन उँगलियों ने पैदा की ‘शुभ सुख चैन’ की धुन
‘कदम कदम बढाए जा’ का साज जिन्होंने रचा
हम भूल गए उन्हें

धुनों के अजनबी पंछी
कानों कि मुंडेरों पर फुदकते हैं और उड़ जाते हैं
अब कोई जहमत नहीं उठाता दाना डालने की

हम समय की जिस सुरंग में हैं
वहाँ पिछला प्रकाश भूलना आम हो चला है

याद करने के नाम पर
तुम्हारी पैदाइश के १००वें बिसरे बरस लिख रहा हूँ यह कविता
पहली गोरखा रायफल्स के जवान
नेताजी के प्रिय
कैप्टेन राम सिंह !
कि हम तुम्हें और तुम जैसे कइयों को
गुजरे कल ही भूल चुके हैं,
आज गलती से लिखी गयी है यह कविता

कल यह कविता भी बिसरा दी जाएगी |

आशीष नैथानी




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