तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Wednesday 20 April 2016

अधूरापन !!

ज़िन्दगी है और मैं हूँ
बस यही है और मैं हूँ

शोर के दोनों सिरों पर
ख़ामुशी है और मैं हूँ

बंद इक कमरे में बैठी
ख़ुदकुशी है और मैं हूँ

शहर में यादों की तेरी
इक नदी है और मैं हूँ

आशीष नैथानी !!