तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है
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Friday, 6 May 2011

काश !!!

काश मेरी पलकों के सब सपने हकीक़त बन जाते
काश मेरी हर धड़कन को हम तुमको अर्पित कर जाते, 
काश तूने हाथों की लकीरों में हमें छिपाया होता 
काश तेरी भोली सूरत को, अपने दिल में सजा पाते ।

घने गेशुओं की छाँव तले, काश कभी हम आहें भरते 
काश तेरी निगाह तले हर रोज नये कुछ ख़्वाब पलते,
काश तेरे इन हाथों पर मैं इश्क़ की मेंहदी रच पाता 
काश मेरे ही दिल में तेरा नाम सदा को बस जाता ।

मेरी मुहब्बत के सवालात, काश तुम्हें दुःख ना पहुँचाते 
काश तेरे नाजुक होंठों से, हम इनकार ना सुन पाते, 
काश ये दुनिया इश्क़ खेलती, इश्क़ ही लेती, इश्क़ बाँटती 
काश मेरी ये वैरी नजरें, ना मोती सागर से छाँटती ।

नज़र मिलाकर, कभी चुराकर, काश मेरे दिल में ना आती 
काश मेरे दिल में बसकर तुम, कभी ना रुख़सत हो पाती,
काश मेरा तुमसे ये नाता जनम-जनम का बन जाता
काश तुम्हें ही हर रातों में मैं ख़्वाबों में मिल पाता । 

तुम्हारे हुस्न की दास्ताँ, सुनहरे हर्फों में लिखता हूँ मैं 
हाथ चले पर दिल रुक जाये जहाँ भी तुमसे मिलता हूँ मैं,
काश मैं तुमसे मिलके तेरी नजरों में ही खो जाता 
काश मेरे सीने से लिपटकर, तेरा दामन रो जाता ।
काश मेरे सीने से लिपटकर, तेरा दामन रो जाता ।।