तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Sunday 17 June 2012


****************************************************************************
"मौसम की पहली बारिश मेरा तन-मन जला रही है,
किसी अपने की तस्वीर मुझे भीतर से खा रही है |
मैं रोककर अपने अहसासों को सुबह से कैद हूँ कमरे में,
ऐ दोस्त इस गीले मौसम में तेरी याद आ रही है ||"
****************************************************************************
         W e l c o m i n g     M o n s o o n    @   H y d e r a b a d .....


Monday 11 June 2012

"1919 - नरसंहार"

रक्त-रक्त बिखरा माटी में,
चीख-चीख गूंजे हर ओर |
लाश-लाश का ढेर लगा था,
उत्तर-दक्खिन चारों ओर ||१||

"वैशाखी" का था त्यौहार,
बच्चे सजकर थे तैयार |
पूरा पिण्ड निकलकर आया,
करने खुशियों की बौछार ||२||

भीड़ जमा थी बाग में,
देश जल रहा आग में |
फिरंगियों को लगा डर,
कहीं दम ना करें ये नाक में ||३||

१३ अप्रैल की शाम हुयी,
अंग्रेजी हुकूमत बदनाम हुयी |
हजारों देशवासियों की अमर,
शहादत देश के नाम हुयी ||४||

एक राह पर फौज सवार हुयी,
बाग़ की दुनिया लाचार हुयी |
फिर चली दनादन गोलियां,
मासूमों के सीनों से पार हुयी ||५||

इधर कारतूसों का गुबार,
उधर बिखर रहा था परिवार |
लगी कई छलांगें कुँए में,
पर जीवन का ना था आसार ||६||

बच्चे, बूढ़े राख हुए,
घर के घर ही खाक हुए |
धीरे-धीरे चितायें भी ठंडी हो गयी मगर,
सरकारी आंकड़े ना साफ़ हुए ||७||

जलियाँवाला श्मसान बन गया,
अमर शहीद निशान बन गया |
एक नन्हा "शेर सिंह",
एक रोज "उधम" जवान बन गया ||८||

गया ब्रिटेन, डायर को खोजा,
डायर जो था हत्यारा |
भारत माँ के लाडले ने,
हत्यारे को घर में घुसकर मारा ||९||

माँ भारती के बेटों में उधम का नाम लिया जाता है,
उधम के अफसानों का बच्चों को ज्ञान किया जाता है |
निजी स्वार्थ परित्यागकर जो मुल्क को कुर्बत देते हैं,
ऐसे वीर शहीदों को शत-शत नमन किया जाता है |
ऐसे वीर शहीदों को शत-शत नमन किया जाता है ||१०||
--------------------------"जय हिंद"--------------------------
---------------------------------------"आशीष नैथानी"---------------------------------------

Sunday 10 June 2012

तिरंगा !!!

माटी ने मौन पुकार लगायी,
देश की संतति दौड़ी आयी |
और मुसीबत ने माँ को घेरा जब,
वीरों ने गोली सीनों पर खायी |
कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||

भूल गये हम भगत-बोस को,
भूल गये शेखर-आजाद |
बस कुछ गिने-चुने लम्हों में,
कर लेते कुर्बत को याद |
नजरों में आजादी का हर वीर नजर आता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||

आज घूस, क़त्ल और चोरी है |
गरीब के घर में भूखा बच्चा,
नेता के घर में तिजोरी है |
इस सरकार को जाने कैसे चैन नसीब हो जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||


कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||