तुम हो चन्दा, मैं गगन हूँ,
तुम हो पानी, मैं पवन हूँ ।
तुम धरा हो, मैं वतन हूँ,
तुम मुहब्बत, मैं अमन हूँ ॥
तुम पलक हो, मैं नयन हूँ,
तुम हो सपना, मैं शयन हूँ ।
तुम हो पावक, मैं तपन हूँ,
तुम शरारा, मैं अगन हूँ ॥
तुम हो पीड़ा, मैं चुभन हूँ,
तुम अमानत, मैं अमन हूँ ।
तुम हो खुश तो मैं मगन हूँ,
बिन तुम्हारे मैं कफ़न हूँ ॥
[ काव्य-संग्रह "तिश्नगी" से ]
तुम हो पानी, मैं पवन हूँ ।
तुम धरा हो, मैं वतन हूँ,
तुम मुहब्बत, मैं अमन हूँ ॥
तुम पलक हो, मैं नयन हूँ,
तुम हो सपना, मैं शयन हूँ ।
तुम हो पावक, मैं तपन हूँ,
तुम शरारा, मैं अगन हूँ ॥
तुम हो पीड़ा, मैं चुभन हूँ,
तुम अमानत, मैं अमन हूँ ।
तुम हो खुश तो मैं मगन हूँ,
बिन तुम्हारे मैं कफ़न हूँ ॥
[ काव्य-संग्रह "तिश्नगी" से ]