तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Sunday 6 November 2011

तुम और मैं !!!

तुम हो चन्दा, मैं गगन हूँ,
तुम हो पानी, मैं पवन हूँ ।
तुम धरा हो, मैं वतन हूँ,
तुम मुहब्बत, मैं अमन हूँ ॥

तुम पलक हो, मैं नयन हूँ,
तुम हो सपना, मैं शयन हूँ ।
तुम हो पावक, मैं तपन हूँ,
तुम शरारा, मैं अगन हूँ ॥

तुम हो पीड़ा, मैं चुभन हूँ,
तुम अमानत, मैं अमन हूँ ।
तुम हो खुश तो मैं मगन हूँ,
बिन तुम्हारे मैं कफ़न हूँ ॥

[ काव्य-संग्रह "तिश्नगी" से ]