तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday 7 April 2012

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हम तो लड़ते रहे कुदरत से तुम्हें पाने में,
तुमने भी बुना खूब जाल हमें फ़साने में |
और क्यों ना हो दर्द शायरी में इस कदर,
जब दिल ही मजबूर है इसे रख पाने में ||

------------------"आशीष नैथानी/ हैदराबाद"---------------------

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