तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday 28 July 2012

जिस्म रखते हैं, ताउम्र भार रखते हैं,
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं |

ओढती चुनरी हरी, शबनम का माँगटीका है,
हम हुस्न में मोहब्बत का
श्रृंगार रखते हैं |

हो न पायेगा इश्क हमें रेत और कंक्रीट से,
अब भी माटी की सौंधी महक से हम प्यार रखते हैं |

रेंगकर चल रहा बच्चा चार पैरों से,
कल उस बच्चे से हम, तमन्ना हजार रखते हैं |

पिताजी तकते हैं पुश्तैनी जमीन नक्शा-ए-कागज पर,
हम शहर में चार पैंसे, गाँव में संसार रखते हैं |

एक ही माटी ने पाला हिन्द-पाकिस्तान को,
दो मुल्क मंच पर कैसे अलग किरदार रखते हैं |
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं ||

Sunday 22 July 2012

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मोहब्बत में हर रोज मंजर बदलता है |
कभी चेहरा बदलता है,
कभी खंजर बदलता है ||
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Sunday 15 July 2012

हम तो दुश्मनी भी शिददत से निभाते हैं यारों

हमें कुछ लोग घटिया दोस्त बताते हैं यारों |
मगर हम तो दुश्मनी भी शिददत से निभाते हैं यारों ||

शर्त ये थी की कभी लौटकर नहीं आयेंगे वो |
वो अब भी मेरे खयालों में आते जाते हैं यारों ||

तोड़कर गुल टहनी से हुआ अहसास इतना ही |
किसी की मुस्कुराहट को, किसी का घर जलाते हैं यारों ||

मेरे पैरों के छालों ने कर ली दोस्ती तेरी गलियों से |
उनकी गली के कांटे भी अब मरहम लगाते हैं यारों ||

ये पतंग जिंदगी की एक रोज कटके गिरनी है |
देखना है इस पतंग को, कब तक बचाते हैं यारों ||

Sunday 8 July 2012

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           " शमा है, माहौल है, जाम पूरा है |
    चले आओ, जश्न का इंतजाम पूरा है || "
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     "गुलाब, खाब, जाम जो भी काबिल है |
सब कुछ मेहमान की नवाजिश में शामिल है ||
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Thursday 5 July 2012

तुम कैसी हो ?

तस्वीरों से पूछ रहा हूँ 
तुम कैसी हो ?
तेरे ख़त तेरी यादों से,
तुम कैसी हो ?

एक वो दिन थे
तुम थी, मैं था,
बस हम तुम थे ।
अब ख्वाबों में
पूछ  रहा हूँ,
तुम कैसी हो ?

क्या अब भी तुम
हँसती हो,
मेरी बातों पर ।
या हँसने का
वक्त नहीं,
तुम कैसी हो ?

एक ज़माना 
बात-बात में,
कट जाता था ।
बात-बात में
पूछ रहा हूँ,
तुम कैसी हो ?

याद है तुमने 
एक रोज मुझे,
दोस्त कहा था ।
दोस्त तुम्हारा 
ठीक नहीं,
तुम कैसी हो ?

तेरा उस दिन 
चौराहे पर,
मिलने आना ।
फिर मैं हूँ
चौराहा है पर,
तुम कैसी हो ?

क्या अब बातें 
मेरी तुझको,
मकबूल नहीं ?
कोई बात नहीं
मैं कैसा,
तुम कैसी हो ?
तस्वीरों से पूछ रहा हूँ 
तुम कैसी हो ?

[ काव्य-संग्रह "तिश्नगी" से ]