तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Monday 2 April 2012

घर ना जलाइये साहब |


कभी मिलने-मिलाने के बहाने घर पर आइये साहब |
कुछ दुखड़े हमसे सुनिये, कुछ अपने सुनाइये साहब ||


वो बच्चे का फडफडाना दिल में और अश्कों में दबा लेना,
नाजुक है उमर फिर से उंगली बढाइये साहब |


लग जाती हैं सदियाँ बहुत एक रिश्ते को पाने में,
माना की हो गयी गलती मगर रिश्ता ना भुलाइये साहब |


और वो अब तलक ना सोयी होगी मैं जानता हूँ मेरे तसव्वुर में " माँ ",
देखे हैं कई सावन उसने, अब सीने से लगाइये साहब |


जला ना सको मोहब्बत का दिया जो घर में तो जरुरी भी नहीं,
बड़ी मुश्किल से बनता है घर, घर ना जलाइये साहब |


है ये सम्भव आपकी मुस्कुराहट से कोई खिलखिला उठे,
किसी अन्जान-अपने की खातिर यूँ ही मुस्कुराइये साहब |
कुछ दुखड़े हमसे सुनिये, कुछ अपने सुनाइये साहब ||
------------------------------- "आशीष नैथानी/ हैदराबाद" ------------------------------


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