तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Friday 9 December 2011

बेचैन दिल को फकत करार चाहिए !!!

इब्तिला हों  गयी बहुत अब जरा प्यार चाहिए ,

या खुदा बेचैन दिल को फकत करार चाहिए |

 

ये आँखे जगी हैं सारी उम्र उनके तस्सवुर में,

जो जग जाय खातिर मेरी, ऐसी अब्सार चाहिए |


सब हैं बेअसर से, ये सूरत, ये सीरत, ये समझ भी, 

जो जीत ले दिल उनका एक ऐसा हथियार चाहिये |


मिलती है गवाही तुफाँ की जमीदोज दरख्तों से,

फिर जीने का है अरमाँ महज नौबहार चाहिए |

या खुदा बेचैन दिल को फकत करार चाहिए ||



 
शब्दार्थ 
इब्तिला = दर्द, कष्ट
फकत = थोडा सा, मामुली
तसव्वुर= कल्पना, दिवास्वप्न
अब्सार = आँखें
सीरत = आदत, आंतरिक सौंदर्य
दरख़्त = पेड, वृक्ष
नौबहार = बसंत

-------------------------"आशीष नैथानी/ हैदराबाद"-----------------------------