तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Monday 22 October 2012

मोहब्बत के गम !!!

कुदरत के कुछ फैसले बड़े अजीब होते हैं |
मोहब्बत के गम तकदीरवालों को नसीब होते हैं ||

जो होते हैं जाँ से बढ़कर एक दौर में,
वही आशिक एक रोज रकीब होते हैं |

दोस्त कुछ ऐसे भी हैं जो खंजर लिये फिरते हैं,
होते हैं कुछ दुश्मन जो बड़े नजीब होते हैं |

'सलिल' इस म्यान के नसीब को क्या कहें ?
बचाने वाले खतरे के कितने करीब होते हैं |
कुदरत के कुछ फैसले बड़े अजीब होते हैं ||
-----------------------आशीष नैथानी 'सलिल'-----------------------

Monday 8 October 2012

किस वजह ?

किस वजह मैं सुधर जाऊं,
क्या पता फिर मुकर जाऊं |
बाँध ले बन्धन में मुझको
ना खबर फिर किधर जाऊं ||
सामने ही है खड़ी तू ,
और पीछे आईना है |
नासमझ मैं सोचता हूँ,
इधर जाऊं या उधर जाऊं ||


[काव्य-संग्रह "तिश्नगी" से]