तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Monday 26 June 2017

कतरा-कतरा शायरी !!

नए किरदार गढ़ने के नशे में
मैं बेकिरदार होकर रह गया हूँ !!

किये थे दस्तख़त पलकों पे तेरी
तू अपने साथ मुझको ले गयी है !!

मैं तेरे शहर में आया भी तो बादल जैसे
वक़्त मजबूर न यूँ करता तो बरखा होती !!

उम्रभर हम दुश्मनी में इस सलीके से मिले
दुश्मनी टूटी तो अपनी दोस्ती के नाम पर
हमने पटरी छोड़ दी और तुमने फाँसी तोड़ दी
ख़ुदकुशी को मार डाला ज़िन्दगी के नाम पर !!

© आशीष नैथानी !!

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