रात न हो तो चाँद का अहसास न हो
न हो पूर्णिमा-अमावस का भेद
त्यौहारों का जाने क्या हो,
कविताओं का भी
रात न हो तो जुगनुओं की कहानियाँ न हों
तारों के अस्तित्व पर लग जाए प्रश्नचिह्न
और सुबह के वजूद पर भी !!
© आशीष नैथानी !!
न हो पूर्णिमा-अमावस का भेद
त्यौहारों का जाने क्या हो,
कविताओं का भी
रात न हो तो जुगनुओं की कहानियाँ न हों
तारों के अस्तित्व पर लग जाए प्रश्नचिह्न
और सुबह के वजूद पर भी !!
© आशीष नैथानी !!
No comments:
Post a Comment