राह में खतरे बड़े हैं
हमसफ़र पीछे पड़े हैं |
देख लेंगे हर मुसीबत
हौसले ज़िद पर अड़े हैं |
चार दिन की ज़िन्दगी और
रोते-धोते थोपड़े हैं |
जानते हैं जीत क्या है
जंग जो सैनिक लड़े हैं |
शोरगुल ऊँचे महल का
तन्हा-तन्हा झोपड़े हैं |
क्या हुआ आबोहवा को
फड़फड़ाते फेफड़े हैं |
छेड़ना मत, है
सियासत
सब हैं मुर्दे सब गड़े हैं |
हर तरफ़ माहौल अच्छा
कितने झूटे आँकड़े हैं |
आलसी बेहोश हैं सब
होशवाले बस खड़े हैं |
आशीष नैथानी ‘सलिल’
आशीष नैथानी ‘सलिल’
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