तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Wednesday 18 February 2015

तज़ामीन # १

(जनाबे मुनव्वर राना साहब के शेर पर)

बरसात के संगीत में अल्फाज़ मिला दे
मुरझाए से पंखों में जो परवाज़ मिला दे
कुछ पास तो आज राज़ से कुछ राज़ मिला दे 
" बस तू मेरी आवाज़ से आवाज़ मिला दे 
फिर देख कि इस शहर में क्या हो नहीं सकता ||"

No comments:

Post a Comment