तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Wednesday 25 February 2015

ग़ज़ल - या मुहब्बत का असर जाना है !!

लफ्ज़ तरही मुशायरे में कहीं एक ग़ज़ल यहाँ भी पढ़ी जा सकती है !

या मुहब्बत का असर जाना है
या ज़माने को सँवर जाना है

या तो जायेगी मिरी ख़ुद्दारी
या मिरे कांधों से सर जाना है

चाँद तारों को सुलाकर शब को
सुब्ह अम्बर से उतर जाना है

एक बच्चे की हँसी के ख़ातिर
वो डराये, मुझे डर जाना है

उसके हाथों की छुहन का जादू
वक़्त के साथ गुज़र जाना है

पिछले तूफ़ाँ में उड़े थे पंछी
अबके तूफ़ाँ में शजर जाना है

मौसमी चक्र बनाने के लिए
फूल-पत्तों को उतर जाना है

सरहदें अपनी परे रख हमको
“आज हर हद से गुजर जाना है ”

जिस्म मरता है फ़क़त इक ही बार
मौत हर दिन तुझे मर जाना है

आशीष नैथानी ‘सलिल’ 

2 comments:

  1. छोटी बहार की लाजवाब ग़ज़ल ... हर शेर अलग अंदाज का ...

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