तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Sunday 27 July 2014

ग़ज़ल !!

मुंसिफ़ों ने नहीं पूछी मेरी इच्छा मुझसे
जाने किस बात से नाराज़ है दुनिया मुझसे |

नौकरी छूटी तो फिर देर से घर आने लगा
डर था माँगे खिलौना मेरा बच्चा मुझसे |

रंग गिरना है हवेली का भी अबके सावन
गुफ़्तगू में कहे आषाढ़ महीना मुझसे |

हिज़्र की रात मेरे साथ ग़ज़ब और हुआ
रौशनी माँग रहा था जो अँधेरा मुझसे |

खर्च कर दे मुझे तू अपने लिए चैन कमा
कह गया जेब का वो आख़िरी सिक्का मुझसे |

मेरे होंटों को मिला लफ्ज़ उस वक़्त कोई
मेरे दुश्मन ने मेरा हाल जो पूछा मुझसे |

ज़िन्दगी तेरे सिवा किससे तआरुफ़ मेरा
और तू ही कहे तू कौन है मेरा, मुझसे |

इतने दुख इतने मसाइल हैं निजी जीवन में
किसको फ़ुर्सत है करे मुल्क का चर्चा मुझसे |

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