तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday 15 June 2013

ये आँसू किसके हैं ?

उस रोज जब
तुम्हें स्टेशन पर छोड़कर
मैं वापस लौटा
तो डायरी में बस यही दो शब्द लिख पाया,
अलविदा प्रिये !

अगली सुबह जब सिरहाने से
निकाली वही डायरी
और खोला वही पन्ना
तो देखते हैं कि
रोशनाई कुछ फैली सी है
और वो काग़ज भी भीगा-भीगा सा है ।

न जाने क्या हुआ रातभर
न जाने कौन रोता रहा,
ये आँसू उन लफ़्जों के थे
या मेरी आँखों के ,
कौन जाने !

आशीष नैथानी 'सलिल'
हैदराबाद (जून,१५/२०१३)

2 comments:

  1. Gajab BHula .....


    Taaron mein akela chaad jagmagata raha us Rat…..

    mushquilo mein akela tu dagmagata raha us rat….

    So ......................... kya khuda jaane ....

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  2. शुक्रिया शुक्रिया !!!

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