उस रोज जब
तुम्हें स्टेशन पर छोड़कर
मैं वापस लौटा
तो डायरी में बस यही दो शब्द लिख पाया,
अलविदा प्रिये !
अगली सुबह जब सिरहाने से
निकाली वही डायरी
और खोला वही पन्ना
तो देखते हैं कि
रोशनाई कुछ फैली सी है
और वो काग़ज भी भीगा-भीगा सा है ।
न जाने क्या हुआ रातभर
न जाने कौन रोता रहा,
ये आँसू उन लफ़्जों के थे
या मेरी आँखों के ,
कौन जाने !
आशीष नैथानी 'सलिल'
हैदराबाद (जून,१५/२०१३)
तुम्हें स्टेशन पर छोड़कर
मैं वापस लौटा
तो डायरी में बस यही दो शब्द लिख पाया,
अलविदा प्रिये !
अगली सुबह जब सिरहाने से
निकाली वही डायरी
और खोला वही पन्ना
तो देखते हैं कि
रोशनाई कुछ फैली सी है
और वो काग़ज भी भीगा-भीगा सा है ।
न जाने क्या हुआ रातभर
न जाने कौन रोता रहा,
ये आँसू उन लफ़्जों के थे
या मेरी आँखों के ,
कौन जाने !
आशीष नैथानी 'सलिल'
हैदराबाद (जून,१५/२०१३)
Gajab BHula .....
ReplyDeleteTaaron mein akela chaad jagmagata raha us Rat…..
mushquilo mein akela tu dagmagata raha us rat….
So ......................... kya khuda jaane ....
शुक्रिया शुक्रिया !!!
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