तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Friday, 29 July 2016

एक समन्दर तन्हा-तन्हा

एक समन्दर तन्हा-तन्हा
बाहर-भीतर तन्हा-तन्हा

आगन्तुक का शोर-शराबा
फिर भी दिनभर तन्हा-तन्हा

नीचे लहरों की ख़ामोशी
ऊपर अम्बर तन्हा-तन्हा

साहिल की धरती का मंज़र
पत्थर-पत्थर तन्हा-तन्हा

ख़्वाब सफ़ीना डूब गया तो
रोया सागर तन्हा-तन्हा

तू भी तन्हा यार समन्दर
मेरा भी घर तन्हा-तन्हा ||

- आशीष नैथानी !!

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (31-07-2016) को "ख़ुशी से झूमो-गाओ" (चर्चा अंक-2419) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत बढ़िया

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  3. लाजवाब ग़ज़ल ... छोटी बहार का कमाल दिख रहा है ...

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