एक समन्दर तन्हा-तन्हा
बाहर-भीतर तन्हा-तन्हा
आगन्तुक का शोर-शराबा
फिर भी दिनभर तन्हा-तन्हा
नीचे लहरों की ख़ामोशी
ऊपर अम्बर तन्हा-तन्हा
साहिल की धरती का मंज़र
पत्थर-पत्थर तन्हा-तन्हा
ख़्वाब सफ़ीना डूब गया तो
रोया सागर तन्हा-तन्हा
तू भी तन्हा यार समन्दर
मेरा भी घर तन्हा-तन्हा ||
- आशीष नैथानी !!
बाहर-भीतर तन्हा-तन्हा
आगन्तुक का शोर-शराबा
फिर भी दिनभर तन्हा-तन्हा
नीचे लहरों की ख़ामोशी
ऊपर अम्बर तन्हा-तन्हा
साहिल की धरती का मंज़र
पत्थर-पत्थर तन्हा-तन्हा
ख़्वाब सफ़ीना डूब गया तो
रोया सागर तन्हा-तन्हा
तू भी तन्हा यार समन्दर
मेरा भी घर तन्हा-तन्हा ||
- आशीष नैथानी !!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (31-07-2016) को "ख़ुशी से झूमो-गाओ" (चर्चा अंक-2419) पर भी होगी।
ReplyDelete--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया सर !!
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteलाजवाब ग़ज़ल ... छोटी बहार का कमाल दिख रहा है ...
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