तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Wednesday 1 June 2016

पुरानी ग़ज़ल नई दुनिया के नाम !!

देखा है ख़ाब आपको पाने के वास्ते
अच्छी दवा है दर्द भुलाने के वास्ते

माचिस की तीलियों से कोई पूछता नहीं
कुरबां हुई जो शम्अ जलाने के वास्ते

देखी न जाए ऐसी फटेहाल ज़िन्दगी
चप्पल रखे थी अपने सिराने के वास्ते

मैंने कहा उसे कि मुझे भूल भी जा अब
फ़ाका किये थी जो मेरे आने के वास्ते

तस्वीर पोंछते हुए किस्सा सुनाए माँ
बेटा गया विदेश कमाने के वास्ते

छीने न आँख से कोई बनता हुआ ‘सलिल’
ईंधन यही है आग जलाने के वास्ते

- आशीष नैथानी !!


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