तिश्नगी
तिश्नगी
तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है
Friday, 17 October 2014
October ki Ghazal
दरिया को राह देके समन्दर बनाइये
पत्थर उठाइये, किसी का घर बनाइये |
बर्बाद यूँ न कीजिए अश्कों की दौलतें
जज्बों को रोककर कोई लश्कर बनाइये |
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