तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Sunday 15 July 2012

हम तो दुश्मनी भी शिददत से निभाते हैं यारों

हमें कुछ लोग घटिया दोस्त बताते हैं यारों |
मगर हम तो दुश्मनी भी शिददत से निभाते हैं यारों ||

शर्त ये थी की कभी लौटकर नहीं आयेंगे वो |
वो अब भी मेरे खयालों में आते जाते हैं यारों ||

तोड़कर गुल टहनी से हुआ अहसास इतना ही |
किसी की मुस्कुराहट को, किसी का घर जलाते हैं यारों ||

मेरे पैरों के छालों ने कर ली दोस्ती तेरी गलियों से |
उनकी गली के कांटे भी अब मरहम लगाते हैं यारों ||

ये पतंग जिंदगी की एक रोज कटके गिरनी है |
देखना है इस पतंग को, कब तक बचाते हैं यारों ||

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