तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday 28 July 2012

जिस्म रखते हैं, ताउम्र भार रखते हैं,
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं |

ओढती चुनरी हरी, शबनम का माँगटीका है,
हम हुस्न में मोहब्बत का
श्रृंगार रखते हैं |

हो न पायेगा इश्क हमें रेत और कंक्रीट से,
अब भी माटी की सौंधी महक से हम प्यार रखते हैं |

रेंगकर चल रहा बच्चा चार पैरों से,
कल उस बच्चे से हम, तमन्ना हजार रखते हैं |

पिताजी तकते हैं पुश्तैनी जमीन नक्शा-ए-कागज पर,
हम शहर में चार पैंसे, गाँव में संसार रखते हैं |

एक ही माटी ने पाला हिन्द-पाकिस्तान को,
दो मुल्क मंच पर कैसे अलग किरदार रखते हैं |
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं ||

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