तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday 31 March 2012

तुम्हारी खूबसूरती


तुम्हारी खूबसूरती देखकर तो कभी,
कभी खुदा भी सोचता होगा
कि ऐसी गलती कर गया मैं कैसे ?

ऐसी गलती कर गया मैं कैसे,
एक बनायी धरती मैंने
एक सूर्य,
एक गगन बनाया
पर कब, कहाँ, क्यों और कैसे मैं
इस जमीं पर दो चाँद उतार लाया ||

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