तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Wednesday, 12 September 2012

ग़लतफ़हमी !!!

जब से अपने दरम्याँ कुछ ग़लतफ़हमी सी हो गयी है,
ये जिंदगी बड़ी सहमी-सहमी सी हो गयी है |

कुछ भी कहना-सुनना अब अच्छा नही लगता,
अनजाने में खुद से कोई बेरहमी सी हो गयी है |

कोई आकर सपने में झंझोड़ने लगता है मुझे,
बेक़रार सहर, शब् वहमी सी हो गयी है |

चलो भूले से ही सही पर लौटती है मुस्कान तेरे गालों पर,
जानकार हाल अपनों का खुशफहमी सी हो गयी है |
ये जिंदगी बड़ी सहमी-सहमी सी हो गयी है ||

---------------------------------- आशीष नैथानी 'सलिल' ----------------------------------

Sunday, 2 September 2012

नज्म-चलो मैं सारी बातें भूल जाता हूँ !!!

चलो मैं सारी बातें भूल जाता हूँ
प्यार से तपी दोपहर,
इश्क से सजी रातें भूल जाता हूँ  |
चलो मैं सारी बातें भूल जाता हूँ  ||

तेरा हाथों में हाथ हो,

या बेबाक बात हो,
इश्क, मुश्क, जज्बात हो,
झमाझम बर्षातें भूल जाता हूँ  |
चलो मैं सारी बातें भूल जाता हूँ  ||

तेरी आदत या इबादत,

तेरे तोहफे या तिजारत,
प्यार के ख़त चुपके-चुपके,
रिश्ते-नाते भूल जाता हूँ |
चलो मैं सारी बातें भूल जाता हूँ  ||

बस इतना तो कह दे,

कि जो था कोई ख्वाब न था  |
तुम्हे भी था इश्क हमसे,
फिर मैं सारी मुलाकातें भूल जाता हूँ |
चलो मैं सारी बातें भूल जाता हूँ  ||


[काव्य-संग्रह "तिश्नगी" से ]           
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आशीष नैथानी 'सलिल' ------------------------