तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday, 30 April 2011

चुप तुम हों या चुप हम हों, ये चुप हर बार होती है ।
तुम रूठो या मैं रूठूँ,  मेरी ही हार होती है ।।

Sunday, 24 April 2011

इस तन्हाई को समझ पाये कोई !

भूलकर भी पत्थर से दिल न लगाये कोई,
मैं हूँ तन्हा इस तन्हाई को समझ पाये कोई |

मेरी हर बात, हर राज ज़माने को खबर,
कभी हमको भी राजदार बनाये कोई |

खुशियों में भी छलक पड़ती हैं आँखें 'ऐ दिल',
कुछ ऐसे ही हमको भी हँसाये कोई |

सुनते हैं निवाले से भी बढ़ता है इश्क का असर,
मेरी थाली से भी एक टुकड़ा खाए कोई |

एक तुम ही तो हो जो पोछते हो मेरे आँशु 'बादल',
भरी बरसात में सीने से लगाये कोई |

------------------------आशीष नैथानी 'सलिल'------------------------