तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Sunday, 27 May 2012

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एक हसीं दौर था तेरी गलियों में आने का,
जब न था सलीका तुम्हें चेहरा छुपाने का |
कोई यूँ ही नहीं जलता मोहब्बत में बेवजह,
शमा से कुछ तो रिश्ता रहा होगा परवाने का |

एक हसीं दौर था तेरी गलियों में आने का ||
----------------------"आशीष नैथानी/हैदराबाद"----------------------

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