तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Sunday, 10 June 2012

तिरंगा !!!

माटी ने मौन पुकार लगायी,
देश की संतति दौड़ी आयी |
और मुसीबत ने माँ को घेरा जब,
वीरों ने गोली सीनों पर खायी |
कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||

भूल गये हम भगत-बोस को,
भूल गये शेखर-आजाद |
बस कुछ गिने-चुने लम्हों में,
कर लेते कुर्बत को याद |
नजरों में आजादी का हर वीर नजर आता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||

आज घूस, क़त्ल और चोरी है |
गरीब के घर में भूखा बच्चा,
नेता के घर में तिजोरी है |
इस सरकार को जाने कैसे चैन नसीब हो जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||


कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||


No comments:

Post a Comment