माटी ने मौन पुकार लगायी,
देश की संतति दौड़ी आयी |
और मुसीबत ने माँ को घेरा जब,
वीरों ने गोली सीनों पर खायी |
कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
भूल गये हम भगत-बोस को,
भूल गये शेखर-आजाद |
बस कुछ गिने-चुने लम्हों में,
कर लेते कुर्बत को याद |
नजरों में आजादी का हर वीर नजर आता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
आज घूस, क़त्ल और चोरी है |
गरीब के घर में भूखा बच्चा,
नेता के घर में तिजोरी है |
इस सरकार को जाने कैसे चैन नसीब हो जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
देश की संतति दौड़ी आयी |
और मुसीबत ने माँ को घेरा जब,
वीरों ने गोली सीनों पर खायी |
कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
भूल गये हम भगत-बोस को,
भूल गये शेखर-आजाद |
बस कुछ गिने-चुने लम्हों में,
कर लेते कुर्बत को याद |
नजरों में आजादी का हर वीर नजर आता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
आज घूस, क़त्ल और चोरी है |
गरीब के घर में भूखा बच्चा,
नेता के घर में तिजोरी है |
इस सरकार को जाने कैसे चैन नसीब हो जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
कुछ ऐसे ही कन्धों से कन्धा मिल जाता है |
एक तिरंगा जब सिर पर लहराता है ||
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