तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Monday 20 June 2011

उनकी मुस्कुराहट

मैं राह के इस तरफ
वो उस तरफ,
मैं उनसे नज़र मिलाता हूँ
वो भी नज़र मिलाती है,
फ़िर मुस्कुराती है
वाह ! क्या ग़जब ढाती है ।।

हवा के तेज झोंके से 
पत्ता जमीन पर गिरता है,
मैं पत्ते को उठाता हूँ
वो नज़र चुराती है,
फ़िर मुस्कुराती है 
वाह ! क्या ग़जब ढाती है ।।

उसकी तस्वीर बनाने को मैं
एक कलम उठाता हूँ,
वो जुल्फ़ें सँवार लेती है
जैसे हो तैयार इस चित्रकारी के लिये,
फ़िर मैं मुस्कुराता हूँ
फ़िर मुस्कुराती है
वाह ! क्या ग़जब ढाती है ।।

मैं उसे उसकी तस्वीर दिखाता हूँ
वो गुस्से से चिल्लाती है और,
और हसीं हो जाती है
फ़िर मुस्कुराती है 
वाह ! क्या ग़जब ढाती है ।।

मैं उससे मिलने को कदम बढ़ाता हूँ
वो भी खुश हो कदम बढ़ाती है,
तभी बीच में दुश्मन गाड़ी जाती है
और वो गाड़ी में चढ़ जाती है,
गाडी आगे बढ़ जाती है
मैं उदास, हताश, निराश हो जाता हूँ
तभी वो खिड़की से हाथ हिलाती है
मैं भी हाथ हिलाता हूँ,
फ़िर मुस्कुराता हूँ
फ़िर मुस्कुराती है
वाह ! क्या ग़जब ढाती है ।।