तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Saturday, 5 January 2013

मृत्यु का गीत !!!

मैं लेकर वरमाला
खड़ा रहूँगा,
और तुम आओगी ।
चुपके - चुपके,
दबे पाँव
साँकल खटकाओगी ।

सिर्फ मैं सुन पाऊँगा वो
खटखटाहट ।

जब कुछ जिम्मेदारियाँ
पूरी हो चुकी होंगी,
कुछ होंगी अधूरी
और
कुछ रिश्ते छूट  जायेंगे ।

तुम थामकर हाथ मेरा
ले चलोगी साथ अपने,
बिना मेरी हामी के भी ।

प्राण तुम्हारे पास होंगे,
निर्जीव तन परिवार के
और नाम संसार के ।

फिर अपनी पलकों पर
मखमली चादर बिछाऊँगा मैं,
उस दिन,
मौत तुमको गुनगुनाऊँगा मैं । 



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