जिस्म रखते हैं, ताउम्र भार रखते हैं,
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं |
ओढती चुनरी हरी, शबनम का माँगटीका है,
हम हुस्न में मोहब्बत का श्रृंगार रखते हैं |
हो न पायेगा इश्क हमें रेत और कंक्रीट से,
अब भी माटी की सौंधी महक से हम प्यार रखते हैं |
रेंगकर चल रहा बच्चा चार पैरों से,
कल उस बच्चे से हम, तमन्ना हजार रखते हैं |
पिताजी तकते हैं पुश्तैनी जमीन नक्शा-ए-कागज पर,
हम शहर में चार पैंसे, गाँव में संसार रखते हैं |
एक ही माटी ने पाला हिन्द-पाकिस्तान को,
दो मुल्क मंच पर कैसे अलग किरदार रखते हैं |
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं ||
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं |
ओढती चुनरी हरी, शबनम का माँगटीका है,
हम हुस्न में मोहब्बत का श्रृंगार रखते हैं |
हो न पायेगा इश्क हमें रेत और कंक्रीट से,
अब भी माटी की सौंधी महक से हम प्यार रखते हैं |
रेंगकर चल रहा बच्चा चार पैरों से,
कल उस बच्चे से हम, तमन्ना हजार रखते हैं |
पिताजी तकते हैं पुश्तैनी जमीन नक्शा-ए-कागज पर,
हम शहर में चार पैंसे, गाँव में संसार रखते हैं |
एक ही माटी ने पाला हिन्द-पाकिस्तान को,
दो मुल्क मंच पर कैसे अलग किरदार रखते हैं |
कैसे भूलें हम 'माँ धरा' का उधार रखते हैं ||
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