अनजानी भीड़ में कहाँ किसी को गले लगाया जाता है |
सच्चा होता नही वो रिश्ता जो छुपाया जाता है ||
बेमन की ख़ुशी नजर आ जाती है गालों से,
जब बैचैन निगाहों को सरपट दौड़ाया जाता है |
बच्चों के चेहरों से चोरी पकड़ी जाती है,
होंठों को जब दांतों तले दबाया जाता है |
हम भी फंसे लिपट-लिपटकर उसकी बातों में,
पंडित का भी धर्म-भ्रष्ट करवाया जाता है |
किसी और की खातिर तू क्यों जलता है रे,
जिसे डूबने का शगल उसे, कहाँ बचाया जाता है |
सच्चा होता नही वो रिश्ता जो छुपाया जाता है ||
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