तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Thursday, 5 July 2012

तुम कैसी हो ?

तस्वीरों से पूछ रहा हूँ 
तुम कैसी हो ?
तेरे ख़त तेरी यादों से,
तुम कैसी हो ?

एक वो दिन थे
तुम थी, मैं था,
बस हम तुम थे ।
अब ख्वाबों में
पूछ  रहा हूँ,
तुम कैसी हो ?

क्या अब भी तुम
हँसती हो,
मेरी बातों पर ।
या हँसने का
वक्त नहीं,
तुम कैसी हो ?

एक ज़माना 
बात-बात में,
कट जाता था ।
बात-बात में
पूछ रहा हूँ,
तुम कैसी हो ?

याद है तुमने 
एक रोज मुझे,
दोस्त कहा था ।
दोस्त तुम्हारा 
ठीक नहीं,
तुम कैसी हो ?

तेरा उस दिन 
चौराहे पर,
मिलने आना ।
फिर मैं हूँ
चौराहा है पर,
तुम कैसी हो ?

क्या अब बातें 
मेरी तुझको,
मकबूल नहीं ?
कोई बात नहीं
मैं कैसा,
तुम कैसी हो ?
तस्वीरों से पूछ रहा हूँ 
तुम कैसी हो ?

[ काव्य-संग्रह "तिश्नगी" से ]


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