वो कि मुड़-मुड़ के देखता है मुझे
ये ख़मोशी बड़ी सदा है मुझे
चाँद तारों से दोस्ती है मिरी
मुद्दतों से मुग़ालता है मुझे
तुमको खो कर बिखर गया हूँ मैं
मेरा होना भी सालता है मुझे
बहता दरिया उछालकर बूँदें
ख़ामुशी से जगा रहा है मुझे
ज़िन्दगी तेरे ग़म कहूँ किससे
किसने आराम से सुना है मुझे
इसलिए भी बिखेर देता हूँ
कोई जी भर समेटता है मुझे
लफ्ज़, आवाज़ हैं अपाहिज को
सिर्फ इनका ही आसरा है मुझे
एक अरसे से लापता हूँ मगर
‘अपने अंजाम का पता है मुझे’
~ आशीष नैथानी 'सलिल' !!
ये ख़मोशी बड़ी सदा है मुझे
चाँद तारों से दोस्ती है मिरी
मुद्दतों से मुग़ालता है मुझे
तुमको खो कर बिखर गया हूँ मैं
मेरा होना भी सालता है मुझे
बहता दरिया उछालकर बूँदें
ख़ामुशी से जगा रहा है मुझे
ज़िन्दगी तेरे ग़म कहूँ किससे
किसने आराम से सुना है मुझे
इसलिए भी बिखेर देता हूँ
कोई जी भर समेटता है मुझे
लफ्ज़, आवाज़ हैं अपाहिज को
सिर्फ इनका ही आसरा है मुझे
एक अरसे से लापता हूँ मगर
‘अपने अंजाम का पता है मुझे’
~ आशीष नैथानी 'सलिल' !!
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ReplyDeletewb govt job
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ReplyDeleteThnx for help sir
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