तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Friday, 9 October 2015

ग़ज़ल - आदत बिगड़ गयी !

आदत बना चुके थे कि आदत बिगड़ गयी
वो इस तरह गए कि तबीयत बिगड़ गयी

किस्से-कहानियों का असर इस कदर हुआ
जीवन के कागजों की हकीक़त बिगड़ गयी 

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-10-2015) को "पतंजलि तो खुश हो रहे होंगे" (चर्चा अंक-2126) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  3. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....

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