मंदिरों के बुत रहे ख़ामोश सब कुछ देखते
त्रासदी में फ़ौज़ के जाँबाज़ ईश्वर हो गए |
रम गए इस खेल में हम नाम जिसका ज़िन्दगी
चंद साँसों के खिलौने जब मयस्सर हो गए ||
-आशीष नैथानी
त्रासदी में फ़ौज़ के जाँबाज़ ईश्वर हो गए |
रम गए इस खेल में हम नाम जिसका ज़िन्दगी
चंद साँसों के खिलौने जब मयस्सर हो गए ||
-आशीष नैथानी
बहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण ....
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत खूब ... साँसें मिलती रहें बस ...
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