मुस्कुराना छोड़कर जाऊँ कहाँ |
आबो-दाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
दिल लगाना छोड़कर जाऊँ कहाँ
ये फ़साना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
जिस ज़माने ने दिया सब कुछ मुझे
वो ज़माना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
धूप जंगल छाँव पानी औ' हवा
घर सुहाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
छूट जाएँ गर ये सांसें ग़म नहीं
गीत-गाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
ज़िंदगी के तल्ख़ रस्तों पर 'सलिल'
गुदगुदाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
आबो-दाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
दिल लगाना छोड़कर जाऊँ कहाँ
ये फ़साना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
जिस ज़माने ने दिया सब कुछ मुझे
वो ज़माना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
धूप जंगल छाँव पानी औ' हवा
घर सुहाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
छूट जाएँ गर ये सांसें ग़म नहीं
गीत-गाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
ज़िंदगी के तल्ख़ रस्तों पर 'सलिल'
गुदगुदाना छोड़कर जाऊँ कहाँ ||
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
ReplyDelete