शहद, धूप, छाँव, घाव
सब कुछ देखा है,
जिन्दगी ने
समय के सापेक्ष
बड़ा बदलाव देखा है |
जो नहीं समझते
इन्सान को इन्सान भी,
उनके घर में
विदेशी कुत्तों से
विशेष लगाव देखा है ||
तिश्नगी से...
सब कुछ देखा है,
जिन्दगी ने
समय के सापेक्ष
बड़ा बदलाव देखा है |
जो नहीं समझते
इन्सान को इन्सान भी,
उनके घर में
विदेशी कुत्तों से
विशेष लगाव देखा है ||
तिश्नगी से...
बढ़िया !!
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये आशीष जी!
ReplyDeleteबढ़िया .....वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये आशीष जी!
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