रुख से परदा जो तुमने हटाया है,
दर-ए-दिल किसी ने खटकाया है ।
मेरी तकदीर है बुलन्दी पर,
जबसे हाथों में हाथ आया है ।
दर-ए-दिल किसी ने खटकाया है ।
मेरी तकदीर है बुलन्दी पर,
जबसे हाथों में हाथ आया है ।
छोटी-छोटी हसीन बातों ने,
दिल में रूतबा बड़ा बनाया है ।
दे जहर-जाम-जखम, कुछ भी दे,
खुद को तेरी राह में बिछाया है ।
आजमाये हैं यूँ तो दर्द कई,
इस दफा इश्क आजमाया है ।
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