मेरे पास कुछ उदास पन्ने हैं
और तुम्हारे पास हैं बेशुमार रंगीन पेंसिलें
अब हमारे मिलने की जगह पर
एक इंद्रधनुष उग आना चाहिए
इंद्रधनुष, जो कि समन्दर पर बने पुल पर
किसी अंगूठी सा सज जाए
या कि कोई छल्ला
बादलों को आर-पार जाने के लिए
हमारे बाद,
न तुम्हारी रंगीन पेंसिलों में रंग ठहरे
न बाकी रहें मेरे पास कोरे पृष्ठ
रहे, तो बस ये इंद्रधनुष !
आशीष नैथानी !!
और तुम्हारे पास हैं बेशुमार रंगीन पेंसिलें
अब हमारे मिलने की जगह पर
एक इंद्रधनुष उग आना चाहिए
इंद्रधनुष, जो कि समन्दर पर बने पुल पर
किसी अंगूठी सा सज जाए
या कि कोई छल्ला
बादलों को आर-पार जाने के लिए
हमारे बाद,
न तुम्हारी रंगीन पेंसिलों में रंग ठहरे
न बाकी रहें मेरे पास कोरे पृष्ठ
रहे, तो बस ये इंद्रधनुष !
आशीष नैथानी !!
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-08-2018) को "आया फिर से रक्षा-बंधन" (चर्चा अंक-3075) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
रक्षाबन्धन की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हिंदी न्यूज़
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