तेरी गली से लौटके जाना पड़ता है
हम दोनों के बीच ज़माना पड़ता है
प्यार-मुहब्बत इश्क़-ख़ुमारी के ख़ातिर
मन्दिर-मस्ज़िद शीष नवाना पड़ता है
जिस जानिब इक भीड़ चले दीवानों की
समझो उस जानिब मैख़ाना पड़ता है
सब पंछी उस आँगन में मँडराते हैं
जिस आँगन में आबोदाना पड़ता है
मर जाते हैं होंठों के सारे अल्फ़ाज़
अपनों को जब दर्द सुनाना पड़ता है
दिल बच्चा है, अक्सर बुनता है सपने
क़दमों को इक दिन थक जाना पड़ता है
- आशीष नैथानी !!
हम दोनों के बीच ज़माना पड़ता है
प्यार-मुहब्बत इश्क़-ख़ुमारी के ख़ातिर
मन्दिर-मस्ज़िद शीष नवाना पड़ता है
जिस जानिब इक भीड़ चले दीवानों की
समझो उस जानिब मैख़ाना पड़ता है
सब पंछी उस आँगन में मँडराते हैं
जिस आँगन में आबोदाना पड़ता है
मर जाते हैं होंठों के सारे अल्फ़ाज़
अपनों को जब दर्द सुनाना पड़ता है
दिल बच्चा है, अक्सर बुनता है सपने
क़दमों को इक दिन थक जाना पड़ता है
- आशीष नैथानी !!
सुन्दर रचना
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