तेरा मेरा भेद मिटा दें
होली में
सुबह-सुबह आवाज़ पडोसी तक
पहुँचे
सूने-सूने हर घर में दस्तक
पहुँचे
मुठ्ठी भर-भर रंग लगाएँ
जश्न करें
रंगीला त्यौहार मनाएँ जश्न
करें |
गलियों में खुशबू बिखरा दें
होली में
ये दुनिया रंगीन बना दें
होली में ||
ढोल की थाप पे नाचें सब नर
और नारी
मुँह ताके, सर पीटे नफ़रत बेचारी
रंग अबीर गुलाल उड़े बादल के
संग
बच्चे युद्ध करें भर-भरकर पिचकारी |
शर्बत में कुछ भंग मिला दें
होली में
ये दुनिया रंगीन बना दें
होली में ||
क्या पूरब क्या पश्चिम क्या
उत्तर-दक्षिण
दौलत साँसों की गुजरे
घड़ियाँ गिन-गिन
गाँवों ने देखे हैं पतझड़
अपनों के
शहरों की सरहद पर मृत तन
सपनों के |
गांवों को जीवन लौटा दें
होली में
ये दुनिया रंगीन बना दें
होली में ||
रंगों के महापर्व होली की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (06-03-2015) को "होली है भइ होली है" { चर्चा अंक-1909 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया सर !
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया !
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