तिथि खोई, पंचांग खो गये
'कैलैंडर' गृहवासी हो गये ।
गणना शुरू 'कैलकुलेटर' पर
चन्दा, सूरज गैर हो गये ॥
ग्रहों की बदली सी चाल है
सच में ये ही नया साल है ॥१॥
बोली-भाषा-गाँव बेगाने ।
मिट्टी की खुशबू भी रूठी
रूठे घर-संसार-ज़माने ॥
अश्कों से भीगा रुमाल है
सच में ये ही नया साल है ॥२॥
पिछले बरस दामिनी खोई
अबके बरस भी गुडिया रोई ।
इधर-उधर सब काँटे बिखरे
जाने किसने फसल ये बोई ॥
गली-सड़क पर बुरा हाल है
सच में ये ही नया साल है ॥३॥
आशीष नैथानी 'सलिल'
25/4/2013..[हैदराबाद]
'कैलैंडर' गृहवासी हो गये ।
गणना शुरू 'कैलकुलेटर' पर
चन्दा, सूरज गैर हो गये ॥
ग्रहों की बदली सी चाल है
सच में ये ही नया साल है ॥१॥
लोकगीत और नृत्य पुराने
बोली-भाषा-गाँव बेगाने ।
मिट्टी की खुशबू भी रूठी
रूठे घर-संसार-ज़माने ॥
अश्कों से भीगा रुमाल है
सच में ये ही नया साल है ॥२॥
पिछले बरस दामिनी खोई
अबके बरस भी गुडिया रोई ।
इधर-उधर सब काँटे बिखरे
जाने किसने फसल ये बोई ॥
गली-सड़क पर बुरा हाल है
सच में ये ही नया साल है ॥३॥
आशीष नैथानी 'सलिल'
25/4/2013..[हैदराबाद]
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