तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Wednesday, 20 February 2013

आज हुए ऋतुराज पहेली

आज हुए ऋतुराज पहेली,
पूष ने थामी सावन की हथेली ।
आज हुए ऋतुराज पहेली ।।

सूरज बदले समय दिन-ब-दिन
चन्दा अपना तन बदले,
पुरवाई बदले शीतलता
अम्बर अपने घन बदले ।

स्वर्णिम गेंहूँ की बाली से
खेले मौसम अठखेली ।
आज हुए ऋतुराज पहेली ।। 1 ।।

कब नव कोंपल लाते तरुवर
पंछी को ललचाते तरुवर
तेज हवा जब तोड़े शाखा,
मौसम पर गुर्राते तरुवर ।

चट्टानों पर 'फ्योंली' चमके
और तलहटी खिले चमेली ।
आज हुए ऋतुराज पहेली ।। 2 ।।

कभी लू चले, कभी कुहासा
ऊष्म किरण की झूठी आशा,
कभी कंपकंपी कभी पसीना
इस मौसम से घोर निराशा ।

और छिपें तारे बादल में
जैसे दुल्हन नई-नवेली ।
आज हुए ऋतुराज पहेली ।। 3 ।।


'टिप्पणी : 'फ्योंली', हिमालय की तलहटी में उगने वाला पीले रंग का छोटा सा सुन्दर पुष्प होता है और इसे गढ़वाली भाषा (बोली) में यह नाम दिया गया है । 
 

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