क्या हुआ कोशिश अगर ज़ाया गई
दोस्ती हमको निभानी आ गई |
बाँधकर रखता भला कैसे उसे
आज पिंजर तोड़कर चिड़िया गई |
चूड़ियों की खनखनाहट थी सुबह
शाम को लौटी तो घर तन्हा गई |
लहलहाते खेत थे कल तक यहाँ
आज माटी गाँव की पथरा गई |
कैस तुमको फ़ख्र हो माशूक पर
पत्थरों के बीच फिर लैला गई |
आज फिर आँखों में सूखा है 'सलिल'
ज़िन्दगी फिर से तुम्हें झुठला गई |
दोस्ती हमको निभानी आ गई |
बाँधकर रखता भला कैसे उसे
आज पिंजर तोड़कर चिड़िया गई |
चूड़ियों की खनखनाहट थी सुबह
शाम को लौटी तो घर तन्हा गई |
लहलहाते खेत थे कल तक यहाँ
आज माटी गाँव की पथरा गई |
कैस तुमको फ़ख्र हो माशूक पर
पत्थरों के बीच फिर लैला गई |
आज फिर आँखों में सूखा है 'सलिल'
ज़िन्दगी फिर से तुम्हें झुठला गई |