तिश्नगी

तिश्नगी प्रीत है, रीत है, गीत है
तिश्नगी प्यास है, हार है, जीत है

Thursday, 18 December 2014

क्या हुआ कोशिश अगर ज़ाया गई

क्या हुआ कोशिश अगर ज़ाया गई
दोस्ती हमको निभानी आ गई |

बाँधकर रखता भला कैसे उसे
आज पिंजर तोड़कर चिड़िया गई |

चूड़ियों की खनखनाहट थी सुबह
शाम को लौटी तो घर तन्हा गई |

लहलहाते खेत थे कल तक यहाँ
आज माटी गाँव की पथरा गई |

कैस तुमको फ़ख्र हो माशूक पर
पत्थरों के बीच फिर लैला गई |

आज फिर आँखों में सूखा है 'सलिल'
ज़िन्दगी फिर से तुम्हें झुठला गई |